समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र-अर्थशास्त्र के अन्तर्गत मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। अर्थशास्त्र को वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन तथा वितरण का अध्ययन भी कहा गया है। इसके द्वारा धन के उत्पादन एवं वितरण और उपभोग से सम्बन्धित व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। पन से सम्बन्धित मानवीय क्रियाओं गतिविधियों को अर्थशास्त्र में प्रमुखता देने का कारण यह है कि घन आवश्यकताओं या इका को पुति का प्रमुख साधन है। समाजशास्त्र के अन्तर्गत मनुष्य की सामाजिक क्रियाओं गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है समाजशास्त्र प्रथा, परम्परा, रूढ़ि,संस्कृति आदिको अध्ययन करता है। समाजशास्त्र समम रूप से मानवीय व्यवहार एवं समाज को समझने का प्रयास करता है।
समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र के संबंधों के बारे में सिल्वरमैन ने लिखा कि सामान्य कार्यों के लिए अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र नामक पितृ विज्ञान की, जो सभी सामाजिक सम्बन्धों के सामान्य सिद्धांतों का अध्ययन करता है.एक शाखा माना जा सकता है। अन्तर-इन दोनों विज्ञानों की प्रकृति को देखकर बहुघा इन्हें समान समझ लिया जाता है लेकिन सभी विज्ञानों के समान इनके बीच भी कुछ मौलिक अन्तर पाये जाते हैं सामान्य व विशेष विज्ञान का अन्तर-समाजशास्त्र सम्पूर्ण समाज का अध्ययन होन के कारण एक सामान्य विज्ञान है जबकि अर्थशास्त्र केवल आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करता है और इस प्रकार यह एक विशेष विज्ञान है। धारणा का अंतर-चाहे सैद्धांतिक रूप से न सही, लेकिन व्यावहारिक रूप से अर्थशास्त्र एक अधिक मनुष्य की धारणा पर आधारित है जबकि समाजशास्त्र में ऐसी कोई पर्व धारणा नहीं पायी जाती। पत्तियों के प्रयोग का अंतर-अर्थशास्त्र में निगमन त्वचा आगमन पद्धति द्वारा अध्ययन कार्य किया जाता है जब समाजशास्त्र में संख्यात्मक और गुणात्मक पद्धतियों द्वारा अध्ययन किया जाता है। नियमों की प्रकृति का अन्तः-समाजशास्त्र के सभी नियम सर्वव्यापी और स्वतन्त्र है।